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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा कुछ उसकी यादों

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा कुछ उसकी यादों को 
आंखो से बहते देखा
मुश्किल था ये बिछड़ना उस से
आज फिर खुद को गुट गुट के मरते देखा B++3218
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा कुछ उसकी यादों को 
आंखो से बहते देखा
मुश्किल था ये बिछड़ना उस से
आज फिर खुद को गुट गुट के मरते देखा B++3218