नाज़ुक दिल तोड़कर कहाँ गया रे तू, मुझको यूँ भूलकर कहाँ गया रे तू.. माना नहीं हुई थी मुझे मुहब्बत, मगर, दोस्त को यूँ छोड़कर कहाँ गया रे तू। मेरी आरजू सारी अब तो मरने लगी हैं, अपनी राह यूँ मोड़कर कहाँ गया रे तू। न था न है तेरा इंतजार अब तो मुझको, दिल का नाता जोड़कर कहां गया रे तू। दोस्ती #सखी को क्यों रास आती नहीं, दोस्ती का हाथ मरोड़कर कहाँ गया रे तू। ©सखी #muhbbt #dosti