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मैं रूठा हूं तो मनाने के लिए, कभी तो आओ आने के लिए

मैं रूठा हूं तो मनाने के लिए,
कभी तो आओ आने के लिए।
मुझे जो आजमाना चाहता है ,
रुका है किसी बहाने के लिए।
वक्त हाथों में लिए फीरता हुं मैं,
वो आंए दुपट्टा फसाने के लिए।
बस तार उसी के क्युं छेडुं मै,
गम और भी हैं गाने के लिए।
वो समेट रहा है बुनियाद अपनी,
जो बिखरा था जमाने के लिए।
वो बच्चा खेल रहा है रिश्तों से,
जो रोता था खिलौने के लिए।
गम-ए-मजृ की दवा मांगते ही,
वो इशारा करगया मैखाने के लिए। #gazal---#bhool-chook maaf✌😊 #nojotomumbai
मैं रूठा हूं तो मनाने के लिए,
कभी तो आओ आने के लिए।
मुझे जो आजमाना चाहता है ,
रुका है किसी बहाने के लिए।
वक्त हाथों में लिए फीरता हुं मैं,
वो आंए दुपट्टा फसाने के लिए।
बस तार उसी के क्युं छेडुं मै,
गम और भी हैं गाने के लिए।
वो समेट रहा है बुनियाद अपनी,
जो बिखरा था जमाने के लिए।
वो बच्चा खेल रहा है रिश्तों से,
जो रोता था खिलौने के लिए।
गम-ए-मजृ की दवा मांगते ही,
वो इशारा करगया मैखाने के लिए। #gazal---#bhool-chook maaf✌😊 #nojotomumbai
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