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हम दुआ करे भी तो क्या करे, कोई वजह भी तो पता

हम  दुआ करे भी तो क्या करे, 
कोई   वजह  भी तो पता नहीं।
वो   निकल  पड़े किस राह पर, 
थे   जख्म  पर कुछ कहा नही। 
फरियाद   की,  हर   दर  बदर,
सब   बुत  थे, कोई  खुदा नही। 
तुम्हें   मिल  गये थे,  नसीब था 
पर   हमको   कोई  मिला नहीं। 
ऐ   ज़िन्दगी , तेरा    काम    है, 
मुझे तुझसे कुछ भी गिला नहीं।
तुझे लिख सकूँगा भी क्या पता,
कुछ लिखते लिखते लिखा नहीं।

©Manish ghazipuri दिल का फलसफा।
हम  दुआ करे भी तो क्या करे, 
कोई   वजह  भी तो पता नहीं।
वो   निकल  पड़े किस राह पर, 
थे   जख्म  पर कुछ कहा नही। 
फरियाद   की,  हर   दर  बदर,
सब   बुत  थे, कोई  खुदा नही। 
तुम्हें   मिल  गये थे,  नसीब था 
पर   हमको   कोई  मिला नहीं। 
ऐ   ज़िन्दगी , तेरा    काम    है, 
मुझे तुझसे कुछ भी गिला नहीं।
तुझे लिख सकूँगा भी क्या पता,
कुछ लिखते लिखते लिखा नहीं।

©Manish ghazipuri दिल का फलसफा।