Fire इश्क में हम युं होश गंवाते रहे, उसके लिऐ घर आग में जलाते रहे, हम ख्वाबों को पिरोते रहे लफ्ज़ों में, और हकीकत को आग में जलाते रहे, वो समझ जाते मतलब मेरे लिखे खतों का, मगर हम तो खतों को ही आग में जलाते रहे, वो भी खड़े थे धुप में इंतज़ार मे रकीब के, हम भी खड़े थे धुप में छांव उसकी बनकर, जब तक आता महबुब उनका मिलनें उनसें, हम खड़े बरसती आग में खुद को जलाते रहे, हम इश्क बन तो नहीं सकते थे कभी उनका, याद होते हुऐ भी खुद को प्रेम आग में जलाते रहे, बे वजह हम खुद को जलाते रहे, #fire #wod