कुछ संग रोया हूं मैं कुछ संग हसा भी हूं कुछ से लड़ा हूं मैं कुछ संग मस्ती में फसा भी हूं कुछ ने संवारा है मुझ को तो कुछ ने बिगाड़ा भी है कुछ हवा से थे कुछ सदा से हैं कुछ से कभी बनी नहीं कुछ से कभी बिगड़ी ही नहीं रिश्ते ये चाहे-अनचाहे बने हों चाहे फ़िर भी ये रिश्ते.. जग में सब से बेहतर से हैं कुछ संग रोया हूं मैं कुछ संग हसा भी हूं कुछ से लड़ा हूं मैं कुछ संग मस्ती में फसा भी हूं कुछ ने संवारा है मुझ को तो कुछ ने बिगाड़ा भी है कुछ हवा से थे