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हमसे वतन परस्ती का सबूत मांगा गया। हमसे जज़्बा-ए-मो

हमसे वतन परस्ती का सबूत मांगा गया।
हमसे जज़्बा-ए-मोहब्बत का वो वजूद मांगा गया।
इस जमहूरियत से भला कोई क्या उम्मीद रखे,
हमने क़ौमी इतहार -ए- वफ़ा को बरकरार रखा,
हमसे फिर भी अल्फ़ीशा-ए-लहू का महदूद मांग गया।

                                          लेखक कमर शेख #Art
हमसे वतन परस्ती का सबूत मांगा गया।
हमसे जज़्बा-ए-मोहब्बत का वो वजूद मांगा गया।
इस जमहूरियत से भला कोई क्या उम्मीद रखे,
हमने क़ौमी इतहार -ए- वफ़ा को बरकरार रखा,
हमसे फिर भी अल्फ़ीशा-ए-लहू का महदूद मांग गया।

                                          लेखक कमर शेख #Art