❤️झरना💔 इसमें मेरी पीड़ाएँ है, आहों के स्वर है मिश्रित, मौन धरे जो बैठी हूँ तो देख रहीं हूँ खुदको ही, गिरते झरने की काया में जैसे मेरी काया है वर्षो नैनों में ठहरा जल जैसे बाहर आया है जीवन के गये अँधियारों की एक छवि फिर दिखती है, नदिया भर आँसू के बदले छाँव ख़ुशी की बिकती है, मेला जैसे है यादों का लगा हुआ मेरे सम्मुख जिसमें दिन की साज-सजावत, रैना पीछे छिपती है।। #सुरभि...✍️ #झरना..✍️