खला में इनको कुछ नज़र आना चाहिए । आंखों को टूटे हुए ख़्वाब का हर्ज़ाना चाहिए । वो काम शहर में रहकर करना पड़ा हमें । मजनू को जिसके वास्ते वीराना चाहिए । by# अमीर इमाम पोएट्री # by# ameer imam poetry#