चेहरे पर मुस्कान दिल में हवस की आग आँखों पर पट्टी सोच में गन्दगी क्या यही हैं आज का इन्सान निगाहों का दोष ओर कपड़ो को इल्जाम क्या मुमकीन हैं उन मास्सुम बच्चो को भी बुर्खा ओर सूट सलवार वहाँ कौन सा अंग प्रदर्शन था वहाँ कौन सी उस मास्सुम की गुस्ताखी क्या यही हैं आज का संसार कही पडोसी तो कही अनजान कही अपने तो कही पराये अब बस चारो तरफ हवस की आग आग ओर इन्सानियत शर्मसार क्या अब सम्भव नहीं मासूम को ओर मुस्कान "हैवानीयत की आग मे आज फिर से बहुत आँखें नम हैं एक घर से मासूम की मुस्कान गुम हैं" #nojotohindi #kavishala #hindi