कुछ हाले दिल ,जरा सी तमन्ना और हम संग चाँद, अक्सर ख़ुद की तलाश में रात के सिरहाने ,ढूँढते फिरते है। कुछ हासिल हो ये खाव्हिश नहीं, पर सुकुँ के, कुछ लफ्ज बुनते फिरते है। हम और चाँद