मैं चीख चीख कर रोना चाहती हूँ, पर भीड़ में उम्र का लिहाज़ रोने नहीं दे रहा । मैं छुपाना चाहती हूँ खुद को किसी कोने में, मगर अपनो का हुजूम तनहा होने नहीं दे रहा। एक निवाला खाने का भी मन नहीं है मेरा, मगर माँ का प्यार भूखा सोने नहीं दे रहा। मैं बस खामोश रहना चाहती हूँ, पर सवालों का शोर चुप होने नहीं दे रहा। मैं किसी सुरत-ए-हाल में जीना नहीं चाहती, पर माँ-पापा का ख्याल जहर पीने नहीं दे रहा। #Depressed #Sad#Pain #Shayari#Quotes#Poem #Nojotohindi #Ghazal