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ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं अन्दर

 ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं
अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं
जानते हैं आँखे सच बोल जाती हैं
शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलतें हैं |
 ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं
अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं
जानते हैं आँखे सच बोल जाती हैं
शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलतें हैं |
gunjananand8169

Gunjan Anand

New Creator

ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं जानते हैं आँखे सच बोल जाती हैं शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलतें हैं |