लिखी थी जो पाती प्रिय तेरे प्यार में, उसका हर आखर आज भी मुझको है याद। सागर से भी गहरा तेरा मेरा प्यार, देकर सुर्ख गुलाब किया था जो तूने पहले इश्क़ का इज़हार। फिर चलती गई मैं संग-संग, तेरे प्रेम की हर डगर। पाकर तेरा साथ साथिया, कितना हसीन होता गया मेरी मुहब्बत का सफर। आज भी उठती है दिल में, उन हसीन मुलाकातों की सुहानी सी एक लहर। खुशनशीब है ये 'गीत' जो मिला उसे तेरा साथ, हर घड़ी हर पहर। #स्नेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली