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चरित्र पे लगे दाग वो पसीने से मिटा रहा है , कल वहश

चरित्र पे लगे दाग वो पसीने से मिटा रहा है , कल वहशी था आज खुद के अंदर का इंसान जगा रहा है ।
        Majebul
चरित्र पे लगे दाग वो पसीने से मिटा रहा है , कल वहशी था आज खुद के अंदर का इंसान जगा रहा है ।
        Majebul