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इक ख्याल ........ कुछ पत्ते कुछ कंकड़ यूँ इकट्ठे

इक ख्याल ........

कुछ पत्ते कुछ कंकड़ यूँ इकट्ठे कर लिये 
जो अक्श़ था निगाहों में बसा रह गया

सिल सिल जल के शमां यूँ कर बुझ गयी
परवाना सदियों तलक जलता रह गया

 इक ख्याल ........

कुछ पत्ते कुछ कंकड़ यूँ इकट्ठे कर लिये 
जो अक्श़ था निगाहों में बसा रह गया

सिल सिल जल के शमां यूँ कर बुझ गयी
परवाना सदियों तलक जलता रह गया
इक ख्याल ........

कुछ पत्ते कुछ कंकड़ यूँ इकट्ठे कर लिये 
जो अक्श़ था निगाहों में बसा रह गया

सिल सिल जल के शमां यूँ कर बुझ गयी
परवाना सदियों तलक जलता रह गया

 इक ख्याल ........

कुछ पत्ते कुछ कंकड़ यूँ इकट्ठे कर लिये 
जो अक्श़ था निगाहों में बसा रह गया

सिल सिल जल के शमां यूँ कर बुझ गयी
परवाना सदियों तलक जलता रह गया

इक ख्याल ........ कुछ पत्ते कुछ कंकड़ यूँ इकट्ठे कर लिये जो अक्श़ था निगाहों में बसा रह गया सिल सिल जल के शमां यूँ कर बुझ गयी परवाना सदियों तलक जलता रह गया #Poetry