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प्रखर इल्ज़ाम लगते रहे मुझ पर, मैं बस खामोशी से सु

प्रखर इल्ज़ाम लगते रहे मुझ पर,
मैं बस खामोशी से सुनता गया हूँ,
उनको बेचैनी तक न हुई जाने पर,
इस तरह दिल से निकाला गया हूँ,
कलम और शब्द
प्रखर इल्ज़ाम लगते रहे मुझ पर,
मैं बस खामोशी से सुनता गया हूँ,
उनको बेचैनी तक न हुई जाने पर,
इस तरह दिल से निकाला गया हूँ,
कलम और शब्द