फसे हो जब असमंजस में हो रहे हों जब दो मन एक हां, एक ना कहता हो और मन डोले खाता हो उस वक्त अंदर झाँक लो धीरे से... आती है वो ...पहली अंदर की आवाज सदा हितकारी होती है सून लो जरा ए जन अंदर की आवाज