चली जा रही थी वो भीड़ से ज़ुदा .ख़ुद में खोने के लिए स्वप्न अधूरे राह तकें साथ होने के लिए अंतर्मन में अँधियारा घोर घनघोर एक दीप होने के लिए चली जा रही थी... -अजय नेमा #Main_akeli #poetry#self #nojotoapp #nojotofamily