बचपन और पहली साइकिल याद आती हैं वो यादें बचपन की, जिसमें महक है अपनेपन की। वो मेरा साइकिल से गिरना, गिर कर फिर संभलना, और भाई का कहना, डर मत मैं हूं ना। ©||स्वयं लेखन|| याद आती हैं वो यादें बचपन की, जिसमें महक है अपनेपन की। वो मेरा साइकिल से गिरना, गिर कर फिर संभलना, और भाई का कहना, डर मत मैं हूं ना।