"बस नाम रहेगा अल्लाह का, जो ग़ायब भी है हाज़िर भी" फैज़ अहमद फैज़ की इस नज़्म को लेकर आजकल देश में एक बहस छिड़ी हुई है| क्या साहित्य का भी कोई धर्म होता है? कमेंट करके बताएं- #Trending #Social #Literature #HumDekhenge #EQ