वो तेरे इश्क़ में क्या न कर गुजरा लगाया था हमने गुलाब का पौधा सोचा था जिस दिन फूल खिलेंगे उस दिन हमारे मुहब्बत जवां होंगे सूख गई डाली मुरझा गया पौधा हैसियत में बँटा अंजाम -ए-वफ़ा