बचपन और जिम्मेदारी कुछ बचपन ऐसे भी बीत जाते हैं जिम्मेदारी के बोझ तले नन्हें कांधे झुक जाते है छोटी उम्र मे बड़ा काम कर रहा है इस कुदरत उस ईश्वर को भी हैरान कर रहा है मुफ़लिसी के दौर मे नादानी छोड़ ये बालक अपने घर के भोजन का इंतजाम कर रहा है कैसे कह दूँ इसे छोटा ये तो बड़ा हो गया है जो काम घर का मुखिया करता है वो काम ये बचपन सरेआम कर रहा है ए बचपन तेरी लगन को अंजान सलाम कर रहा है #अंजान.... #अंजान#बचपन#हिंदी_कविता#लेखक #nojoto#writer#nojoto_hindi #मेरे_शब्द#मेरी_डायरी....