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टूटता है तो बहुत चुभता है साहब क्या कांच ,क्या ख

टूटता है तो बहुत चुभता है साहब
 क्या कांच ,क्या  ख्वाब ,
क्या रिश्ता, क्या दिल...!
pragati
टूटता है तो बहुत चुभता है साहब
 क्या कांच ,क्या  ख्वाब ,
क्या रिश्ता, क्या दिल...!
pragati