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हम दूर रहकर भी साथ अपनों का ढूँढा करते हैं अनजान

हम दूर रहकर भी साथ अपनों का ढूँढा करते हैं 
अनजान होकर भी साथ अपनों का ढूँढा करते हैं 
उन यादों की महक दूर तक फैली हुई है 
हर पल जिन्दगी मे इक नई उम्मीद सी बाकी है 
हर लम्हे से गुजरती जिंदगी अब 
इक मुसाफिर मुझे  बना जाती हैं 
कोई उम्मीद सी दिल में मेरे एक नया खबाहिशो 
का घर सजा जाती हैं 
बस यादों की महक मेरे आँगन की 
हवा  महका जाती हैं  ।
अंशु शायरी #sunrays
हम दूर रहकर भी साथ अपनों का ढूँढा करते हैं 
अनजान होकर भी साथ अपनों का ढूँढा करते हैं 
उन यादों की महक दूर तक फैली हुई है 
हर पल जिन्दगी मे इक नई उम्मीद सी बाकी है 
हर लम्हे से गुजरती जिंदगी अब 
इक मुसाफिर मुझे  बना जाती हैं 
कोई उम्मीद सी दिल में मेरे एक नया खबाहिशो 
का घर सजा जाती हैं 
बस यादों की महक मेरे आँगन की 
हवा  महका जाती हैं  ।
अंशु शायरी #sunrays