चांदनी रातें बड़ी अच्छी लगती है दूर तक टिमटिमाते तारे बहुत याद आते है उस समय के सपने शून्य संसार में बड़े अच्छे लगते थे वो यादे कितने सुंदर थे वो सपने ऐसे थे जो अब भी याद आते है वो बचपन कब चला गया यह पता भी नहीं चला कब हम हममें बदल गए उसका भी पता नहीं चला । swa त्रिपाठी ।