कभी यूँ भी हो मैं कोई तितली बन जाऊँ, बंदिशें तोड़कर खुली हवा में उड़ जाऊँ। कभी ये भी हो कि मैं बच्ची बन जाऊँ, माँ तेरी गोद पापा के डर से दुबक जाऊँ। कभी यूँ भी हो कि मैं आसमाँ बन जाऊँ, ऊंचे और विशाल होने पर मैं भी इतराऊँ। कभी ये भी हो कि मैं सिपाही बन जाऊँ, सरहद पर दुश्मनों को लोहे के चने चबवाऊँ। कभी ये भी हो कि मैं भी पिता बन जाऊँ, किसी मासूम के सर पर छाया बन छा जाऊँ। कभी ये हो कि मैं ये सुंदर धरा बन जाऊँ, हर मौसम में नया रंग नई खुशी से नहाऊं। कभी यूँ भी हो कि मैं, मैं खुद ही हो जाऊँ, दुबारा खुद को थोड़ा और बेहतर जान पाऊँ। कभी यूँ भी हो, तुम मैं और मैं तुम बन जाऊँ, जितना तुम सताते हो उतना ही तुम्हें सताऊँ😉😜😜😂 ©सखी #kash #काश #कभी #यूँ #भी #हो