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मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हू

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूं,

 एक जंगल है तेरी आंखों में, मैं जहाँ राह भूल जाता हूं..
मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूं,

 एक जंगल है तेरी आंखों में, मैं जहाँ राह भूल जाता हूं..