सामने मंज़िल थी और, सामने मंजिल थी , और पीछे वहीं जिंदगी ,, अटक गया था सोच कर कहीं टपक ना जाऊं इस अंधी छलांग में , पता ना था होगा क्या अगले पल मेरी इस फलांग में । कूद पड़ा हुआ देखो अब कोई तो मंजिल पाऊंगा,, हंसते हंसाते हर पल मैं एक नए दिल में जगह बनाऊंगा... ...मन... #December #day2 #manjil ...मन...