आज एक ख़्याल आया मुझे फिर से तेरे ही गली से होके कभी में गुजरा करती थी याद है मुझे, मैं सिर्फ तुम पे मरा करती थी देख तुम्हे जरा शर्मा देती थी बिन देखे तुझे मैं घबरा जाती थी सपने भी हसीन सजा रखे थे मैंने तुम्हारे साथ तेरे साथ बुन भी लिये थे जो हज़ार मेरे छुपाये रंगीन ख़्वाब सोचा न था इस कदर टूट जायेंगे ,मेरीआँखों से दूर हो जाएंगे गुनाह कुछ भी न था, ना तेरा था ना मेरा बस वक़्त का थोड़ा अपना मिजाज था होठो पे मेरी आज भी ख़ुशी नम पड़ जाती हैं तेरे साथ बितायी वो हल्की धुंध की शाम जब याद आती हैं दर्द तो कल भी था मरी जिंदगी में ,दर्द आज भी हैं मेरी जिंदगी में पर तेरा जो साथ मुझे हाथ थामे रखता था मानो सारे गम छू मंतर इस कदर कर जाता था जैसे बिजली की कड़कड़ाहट में भी वो आसमां धरा को भिगो जाता हो आज फिर तेरा ख़्याल आया😊