प्यास लगे पे पानी नसीब नही हुया दर्दो में मुझे शराब पीनी पढ़ी है कुछ दिनों से, दिल पगला अब तक डर रहा है प्यार में दूरी से सालो हुए है तुझे गए इंतज़ार कर रही हूं कुछ दिनों से, तेरी आहट हर वक़्त बसी रहती थी मेरी नगरी में तुम आये नही बस अब कुछ दिनों से, तेरे होते हुए हम कभी रोते नही थे आँसुओ में डूबे है बस कूछ दिनों से, तेरे चेहरे की चमक ही काफी थी मेरे लिए वो चिराग भुझ गए अब कुछ दिनों से, चांद सा चेहरा अब मर्झा गया है मेरा मौसम बदल गए है शायद कुछ दिनों से, तूने तो खबर नही पूछी मेरी चोट तो अब सह ली है मैंने कुछ दिनों से, Neetu_SharmA_POET✒