कयूँ बनजाती है तू गझल ,,, पुरे दिन केसे तडपती तु गझल.. पथ्थर की कया विसात है ,, पहाड़ों को भी तु मुमकिन करदेती गझल. दर्द के दरवाजे आवाज दु,, तेरे द्वार आके रुकती गझल.. रीत रीवाजो से परे हैं गझल,, दिल के रिश्तोँ को सुनती गझल. बेवजह ही बातो मे घुमती गझल,, खुद मे खुद को खोजती गझल... #nojotohindi#nojotosayari #nojotogazal#poetry#nojotopyaar कयूँ बनजाती है तू गझल ,,, पुरे दिन केसे तडपती तु गझल.. पथ्थर की कया विसात है ,, पहाड़ों को भी तु मुमकिन करदेती गझल. दर्द के दरवाजे आवाज दु,, तेरे द्वार आके रुकती गझल..