इस सूरज सी भी तो मै चमकना चहती हूँ ... पहली किरण के संग भी मै गुनगुनाना चाहती हूँ ... चाँद से भी तो रात भर मै बतियाना चाहती हूँ ... खुले आसमान मे पक्षियों संग भी तो मै उड़ना चाहती हूँ ... लेकिन समाज मे हो रहे अपराधो को देखकर अब मै डर जाती हूँ ... हो अगर आहट किसी की भी अब मै अपने कदम पीछे हटाती हूँ ... by ❤ mahi #TuesdayThoughts