प्रेम वह अनुराग है, जिसमें स्वरो मेला हैं राधा के बिना घनश्याम कितना अकेला हैं जब -2 तेरी राग कानो को दस्तख देती हैं बीच भवर मे काम -काज को छोड़कर तेरे संग खेला हैं कुमार आकाश (लखनऊ ) #love#nojoto