चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं , थोड़ी अपनी थोड़ी तुम्हारी बातें बताता हूं । वो जब पहली बार हम मिले थे उन गलियों में उन यादों को फिर से एक बार दोहराता हु । मैंने तो आज तक कोई शायरी लिखी भी नही बस तुम्हारे बातों को अपने शब्दों से सजाता हु । मैं तन्हा रह भी लेता हु ,और थोड़ा बेख़बर भी हु कभी मायुस बैठकर सिर्फ़ तुम्हें ही गुनगुनाता हु । मुझें कोई दूसरा क्या समझ सकता है अब उनकी सोच को मैं धुओं की तरह उड़ाता हु । तुम्हारे नाम का टैटू तो नही गुदवाया हु अब तक हा तुम्हारे नाम को ही हमेशा दिल में बसाता हु । जरूरी ये भी नही इश्क़ में शायरी करना , अब दिल की बातों को लफ्ज़ो तक बस ले आता हूं । चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं थोड़ी अपनी थोड़ी तुम्हारी बातें बताता हूं । -हसीब अनवर