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चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं , थोड़ी अपनी

चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं , 
थोड़ी अपनी थोड़ी तुम्हारी बातें बताता हूं ।
वो जब पहली बार हम मिले थे उन गलियों में 
उन यादों को फिर से एक बार दोहराता हु ।
मैंने तो आज तक कोई शायरी लिखी भी नही 
बस तुम्हारे बातों को अपने शब्दों से सजाता हु ।
मैं तन्हा रह भी लेता हु ,और थोड़ा बेख़बर भी हु
कभी मायुस बैठकर सिर्फ़ तुम्हें ही गुनगुनाता हु । 
मुझें कोई दूसरा क्या समझ सकता है अब 
उनकी सोच को मैं धुओं की तरह उड़ाता हु ।
तुम्हारे नाम का टैटू तो नही गुदवाया हु अब तक 
हा तुम्हारे नाम को ही हमेशा दिल में बसाता हु । 
जरूरी ये भी नही इश्क़ में शायरी करना , 
अब दिल की बातों को लफ्ज़ो तक बस ले आता हूं ।
चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं 
थोड़ी अपनी थोड़ी तुम्हारी बातें बताता हूं ।

-हसीब अनवर
चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं , 
थोड़ी अपनी थोड़ी तुम्हारी बातें बताता हूं ।
वो जब पहली बार हम मिले थे उन गलियों में 
उन यादों को फिर से एक बार दोहराता हु ।
मैंने तो आज तक कोई शायरी लिखी भी नही 
बस तुम्हारे बातों को अपने शब्दों से सजाता हु ।
मैं तन्हा रह भी लेता हु ,और थोड़ा बेख़बर भी हु
कभी मायुस बैठकर सिर्फ़ तुम्हें ही गुनगुनाता हु । 
मुझें कोई दूसरा क्या समझ सकता है अब 
उनकी सोच को मैं धुओं की तरह उड़ाता हु ।
तुम्हारे नाम का टैटू तो नही गुदवाया हु अब तक 
हा तुम्हारे नाम को ही हमेशा दिल में बसाता हु । 
जरूरी ये भी नही इश्क़ में शायरी करना , 
अब दिल की बातों को लफ्ज़ो तक बस ले आता हूं ।
चलो आज कुछ तुम्हें किस्से सुनाता हूं 
थोड़ी अपनी थोड़ी तुम्हारी बातें बताता हूं ।

-हसीब अनवर
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