#AzaadKalakaar मेरे मन का दीपक तब हर पथ पर दिये जलाता है मुँदी-मुँदी-सी इन अँखियों में स्वप्न नए बरसाता है भूल के ममता की हर लोरी तोड़ के मन-तन की हर डोरी देश की सीमाओं पर हँस-हँस प्राणों की जब खेले होरी वो सैनिक है कमल राष्ट्र का नेह से शीश झुकाता है भारत माँ के मुकुट को माणिक एक नया मिल जाता है । हर वीर सपूत को ये मेरा मन लख-लख बार नमन कर जाता है । ©पिंकू कुमार झा #15august #AzaadKalakaar #salutearmy