आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा जिस डाल पर फूल खिलने वाला था, उसी के पत्तों को झड़ते देखा, आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा,, जिसका ख्याल भी मुझ में मोहब्बत भरता है, उसी को मुझसे से झगड़ते देखा, आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा, बहाने बनाते हैं हम ,उनसे दूर जाने के,रो दिए जब खत में ये इल्जाम पढ़ते देखा, आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा, मेरा हाथ छुड़ाकर जा चुका था जो फिर उसी को मेरा हाथ पकड़ते देखा, आज फिर नींद..... #Mohabbat, #Phool, #Nind , #Nojoto, #Shayar, #Sharif ,