एक बूढ़ा सा आदमी, लिए मन मे शक्ति अपार, दिलाने देश को आज़ादी, चला वो अंहिसा की राह। चुनौतियां उसे रोक न पाई, हौसलें तोड़ न पाई कठिन राह। बिना रुके, बिना झुके, चलता रहा, चुनी थी जो राह। डटा रहा, ज़िद पे अड़ा रहा, छोड़ी न एक पल भी राह। लड़ता रहा, आखिरी साँस तक, दिखाई भारतवर्ष को नई राह। #ThankiThoughts