वह नौका बेकार है जो ना कभी किसी साहिल तक जाए सफर अधूरा है राही का, अगर नहीं मंजिल जाए बातचीत का क्या ही मतलब, अगर दिलों में दूरी हो 'बात' तो वो है दिल से निकले और दूसरे दिल तक जाए --प्रशान्त मिश्रा दिल से दिल तक