मुझें नहीं चाहिए खुला आसमान आयासी के लिए,, मैं तो तेरे आंचल से सदा बंधकर रहना चाहता हूं,, मुझें नहीं बनना समझदार, करके नादानियां तेरे गुस्से वाली मिठी -मिठी फटकार सुनते रहना चाहता हूं मुझे नहीं चाहिए ये दिखावें की दौलत, मां तेरे आंचल से लिपटकर आराम से सोते रहना चाहता हूं #मां #nojotoHindi #nojotoshayri #Nojotokavita #nojotonewtreinding