उस चिराग को रौशन करने चले थे जो हवा का एक झरोखा ना सह पाया उस अाशियानें को फिर सजानें चले थे जो झूठ की बुनियाद पर था बनाया गया। -sakshi chauhan #nojoto poems #nojotoquotes#sad shayri #nojoto poems poetry