वक्त से पहले ही वक्त की धार देखी हू,
मैं अपने उम्र से ज्यादा बड़ी हू !
किताबों से खेलते खेलते ज़िन्दगी के पन्ने पलटते देखी हू,
मैं अपने उम्र से ज्यादा बड़ी हू !
अंधेरो से डरते डरते अंधेरो मे ही सुकून ढूंढ ली हू,
हाँ मैं अपने उम्र से ज्यादा बड़ी हू ! #हिन्दी#हिन्दीकविता#ज़िन्दगी_जारी_है