खून खोलता है उन दरिन्द्रों पर जिन्होंने आंतकवाद फैलाया है। देश में रेहकर देश को रुलाया है जवाब मिलेगा तुमको भी, हमने एक कदम पीछे जो खिसकाया है। है कसम मातृभूमि की एक सर के बदले सो सर लायेंगे जन्नत तो दूर तुमको कुते तक नही खायेंगे। दिल दुखाया है तुमने सारे हिन्दुस्थानियों का सोचो अब कैसे तुम बच पाओगे। बदला लेंगे हम कुछ दिन ओर जिलो, ज़िंदा ही मारे जाओगे है मेरे वतन के दुश्मनों, तुमारे ना-पाक इरादे जल्दी ही टूट जाएंगे। इंकलाब जिंदाबाद