नज़रो से तो तुम अनकही बातें हजार कहते हो..! चौधवी के चांद की तरह नशेमन में क्यूं रहते हो..!! तुम से गुफ्तगू की दिल-ए-ख्वाहिश बहुत है मिरी..! मेरी सांसो में हर वक़्त इत्र की तरह क्यूं बहते हो..!! न जाने कितने राज तुमने दफ़्न किए हैं लबों पर..! रुसवाई के डर से दर्द हज़ार फिर क्यूं सहते हो..!! तुम ही बताओ जिंदगी किस तरह बसर करें हम..! कि तुम्हारे बिना क्या है मेरा वजूद क्यूं कहते हो..!! तुमसे बिछड़ जाने का मुकम्मल सबब याद नहीं..! कस्मे वादे भुलाकर फिर तन्हाई से क्यूं डरते हो..!! सरहदें ऊंची-ऊंची बहुत है अब तेरे मेरे दरमियां..! अब हमसे न कहो कि सात पर्दों में क्यूं रहते हो..!! ©Darshan Raj #a #JumuatulWidaa #rekhta #gazal #ग़ज़ल #nazm #Nojoto #darshan #chaand #urdushayari I.A.S dreamerneha 🌟