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रेल के त्यागे हुए केबिन सी है ये ज़िन्दगी, दिन-रात

रेल के त्यागे हुए केबिन सी है ये ज़िन्दगी,
दिन-रात गुज़रती है रेल,मग़र देखती नहीं।
रेल के त्यागे हुए केबिन सी है ये ज़िन्दगी,
दिन-रात गुज़रती है रेल,मग़र देखती नहीं।