ज़िन्दगी दिसंबर सी थी आग हो चली,,जलाना है आसमां बरसात हो चली. समझ रहा है वक़्त मुझे आवारा सा बादल,,पास आया तो समंदर प्यास हो चली. लगाता रहा ज़ोर तूफान पहाड़ से टकराने को,,पास आया तो हवा की चाल खो चली. पक्की सड़क पे चलने का रखता था शोंक मेरा दुश्मन,,आया कच्चे रस्ते पे तो आंखे उसकी रेत हो चली. बंजर जमीन को था गुमान बड़ा,, उठी मेहनत तो खेत हो चली. बिखरे थे बाल उस हसीना के,,मिली नज़रें तो इश्क़ से भेंट हो चली. आवारा दर्द है अमन,ज़ख़्म पे लिखता रहा नज़्म,,ज़िंदगी दिसंबर सी वक़्त से खेल चली। #life#december#nojotohindi#nojotonews#hindishayari#nojotohindi जिंदगी दिसंबर सी✍️ Title--(जिंदगी दिसंबर सी वक़्त से खेल चली)wtitten by me✍️6.1aman💥💥comment Shikha Sharma❣️