तुझे घर अपने शहर जाना हैं मुझे घर अपने सजर जाना हैं कांटों पर फूल उगे हर तरफ अब गले उतर जहर जाना हैं पानी नहीं आता अब खेतों में फसलों को चल नहर जाना हैं क्या खोया क्या पाया सुखन में इक ना इक दिन गुजर जाना हैं किसकी तलाश हैं "अनंत"तुझे तुझे भी इक दिन उस घर जाना हैं भगवान सहाय अनंत 📝