कतरा कतरा जो बढ़े नशे की तरह सर चढ़े रूहानियत जिसकी पहचान है एक दूसरे में बसती जान है जो दूरी बढ़े तो रुलाए तड़पाए दिन का सुकून रातों की नींद उड़ाए। #love#pyar