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ज़िन्दगी ईतनी आसान नहीं जितनी तुम समझते हो। वो (गर

ज़िन्दगी ईतनी आसान नहीं 
जितनी तुम समझते हो।
वो (गरीब आदमी)
अपनी झोपड़ी को महल समझते हैं,
जिन्हें तुम पैर का धूल समझते हो।

उसके लिए छप्पन भोग वही है, 
जिसे तुम जूठा समझते हो।
उसके लिए बिसलेरी वही है, 
जिसे तुम गंदी नाली का पानी समझते हो।

उसे तो इंसान भी कह दूँ,
जो पानी को पानी और 
भोजन को भोजन समझते हैं।
तुम्हे क्या कहूँ,
जो इंसान होके 
इंसान को ही नीच समझते हो। #nojoto
#गरीब
#अमीर
#जूठा_भोजन
#गंद_पानी
#life
#poetry 
#writer
ज़िन्दगी ईतनी आसान नहीं 
जितनी तुम समझते हो।
वो (गरीब आदमी)
अपनी झोपड़ी को महल समझते हैं,
जिन्हें तुम पैर का धूल समझते हो।

उसके लिए छप्पन भोग वही है, 
जिसे तुम जूठा समझते हो।
उसके लिए बिसलेरी वही है, 
जिसे तुम गंदी नाली का पानी समझते हो।

उसे तो इंसान भी कह दूँ,
जो पानी को पानी और 
भोजन को भोजन समझते हैं।
तुम्हे क्या कहूँ,
जो इंसान होके 
इंसान को ही नीच समझते हो। #nojoto
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